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प्रेम (एक खेल का हिस्सा)

                प्रेम( एक खेल का हिस्सा)
                                    ✍️श्याम सुन्दर बंसल


प्रेम अब तो छलावा सा लगता हैं
हर एक रिश्ता बेगाना सा लगता हैं
लोग तो जुड़ते हैं हमसे अपने मतलब के लिए
इस लिए हर एक रिश्ता अंजाना सा लगता हैं।

प्रेम का आज कोई अर्थ न रहा
लोग तो मतलबी हो चले हैं
आ तो जाते हैं लोग मन बहलाने को
लेकिन वही लोग हमको छले हैं।

आज प्रेम कोई खेल से कम नहीं रहा
लोगों के भावनाओं के साथ खेलने का किस्सा रहा
हर कोई नहीं होता ऐसा
लेकिन कुछ लोगों के लिए यह प्रेम बस एक खेल का हिस्सा रहा।

प्रेम यह ईश्वर का आशीर्वाद हैं समय पर कद्र कर लेना
वक्त रहते अपने प्रेम को एक राह दे देना
सोचना मत तुम गलत कर रहे हो
लेकिन एक बात अपने माता पिता का आशीर्वाद ले लेना।

प्रेम की राह कठिन हर कोई चल नहीं सकता
यह वो रिश्ता है जीसे हर कोई ऐसा वैसा नीभा नहीं सकता
अगर मन में एक दुसरे का विश्वास हो
तो तुम्हारे रिश्ते की बुनियाद कोई हिला नहीं सकता।

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4 Comments

क्या खूब लिखा आपने 👌👌

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Swati chourasia

02-Jul-2021 07:31 PM

Bohot hi sundar rachna hai 👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

02-Jul-2021 06:06 PM

सही है...👌👌

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